Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “ Hirni si he kyo “ , “हिरनी-सी है क्यों” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हिरनी-सी है क्यों

 Hirni si he kyo

 

अपनी माँ से

करती कई सवाल

चूड़ी-कंगन

नहीं हाथ में

ना माथे पर बैना है

मुख मटमैला-सा 

है तेरा

बौराए-से नैना हैं

इन नैनो का

नीर कहाँ-

वो लम्बे-लम्बे बाल

देर-सबेर

लौटती घर को

जंगल-जंगल फिरती है

लगती

गुमसुम-गुमसुम-सी तू

भीतर-भीतर तिरती है

डरी हुई

हिरनी-सी है क्यों

बदली-बदली चाल

नई व्यवस्था में क्या

ऐ माँ

भय ऐसा भी होता है

छत-मुडेर पर

उल्लू असगुन

बैठा-बैठा बोता है

पार करेंगे

कैसे सागर

जर्जर-से हैं पाल

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.