Hindi Poem of Balswaroop Rahi “  Adhuri Sampatiya ”,”अधूरी समाप्तियाँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अधूरी समाप्तियाँ

 Adhuri Sampatiya

 

सब समाप्त हो जाने के पश्चात भी

कुछ ऐसा है

जो कि अनहुआ रह जाता है

चलते-चलते राह कहीं चुक जाती है

लेकिन लक्ष्य नहीं मिलता

चाहे रखो उसे जल में या धूप में

किन्तु फूल कोई दो बार नहीं खिलता

खिले फूल के झर जाने के बाद भी

शापग्रस्त सौरभ उसका

किसी डाल के आसपास मंडराता है

अच्छा, मैंने मान लिया

अब तुमसे कुछ संबंध नहीं

पर विवेक का लग पाता मन पर सदैव प्रतिबंध नहीं

अक्सर ऐसा होता है

सब ज़ंजीरें खुल जाने के बाद भी

क़ैदी अपने को क़ैदी ही पाता है

मृत्यु किसी जीवन का अंतिम अंत नहीं

साथ देह के प्राण नहीं मर पाते हैं

दृष्टि रहे न रहे कुछ फ़र्क नही पडता

चक्षुहीन को भी तो सपने आते हैं

सभी राख हो जाने के पश्चात भी

कोई अंगारा ऐसा बच जाता है

जो भीतर-भीतर रह-रह धुँधुआता है

सब समाप्त हो जाने के पश्चात भी….

 

 

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