Hindi Poem of Bashir Badra “ Socha nahi accha bura dekha suna kuch bhi nahi” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं

 Socha nahi accha bura dekha suna kuch bhi nahi

सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं

मांगा खुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं

देखा तुझे सोचा तुझे चाहा तुझे पूजा तुझे

मेरी ख़ता मेरी वफ़ा तेरी ख़ता कुछ भी नहीं

जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात भर

भेजा वही काग़ज़ उसे हमने लिखा कुछ भी नहीं

इक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक

आँखों से की बातें बहुत मुँह से कहा कुछ भी नहीं

दो चार दिन की बात है दिल ख़ाक में सो जायेगा

जब आग पर काग़ज़ रखा बाकी बचा कुछ भी नहीं

अहसास की ख़ुश्बू कहाँ आवाज़ के जुगनू कहाँ

ख़ामोश यादों के सिवा घर में रहा कुछ भी नहीं

 

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