Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Bahut choti jagah“ , “बहुत छोटी जगह” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बहुत छोटी जगह

Bahut choti jagah

 

जिसमें इन दिनों

इजाज़त है मुझे

चलने फिरने की

फिर भी बड़ी

गुंजाइश है इसमें

तूफानों के घिरने की

कभी बच्चे

लड़ पड़ते हैं

कभी खड़क उठते हैं

गुस्से से उठाये-धरे

जाने वाले 

बर्तन

घर में रहने वाले

सात जनों के मन

लगातार

सात मिनिट भी

निश्चिंत  नहीं रहते

कुछ-न-कुछ

हो जाता है

हर एक के मन को 

थोड़ी-थोड़ी ही

देर में

मगर

तूफ़ानों के

इस फेर में पड़कर भी

छोटी यह जगह

मेरे चलने फिरने लायक

बराबर बनी रहती है

यों झुकी रहती है

किसी की आँख

भृकुटी किसी की तानी रहती है

मगर सदस्य सब

रहते हैं मन-ही-मन

एक-दूसरे के प्रति

मेरे सुख की गति इसलिए

अव्याहत है

कुंठित नहीं होती

इस छोटी जगह में

जिसे

घर कहते हैं

और सिर्फ जहाँ

इन दिनों 

चलने फिरने की

इजाज़त है

मुझे!

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