Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Jese yaad aa jata he“ , “जैसे याद आ जाता है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जैसे याद आ जाता है

 Jese yaad aa jata he

 

सामने पड़  जाने पर

और नाम उसका याद नहीं आता

या जैसे एकाध- बार

जाने – पहचाने से लगते हैं वे

जिनसे कभी  नहीं मिले

पाने और खोने के

कोने ही कोने वैसे आज गड़ते हैं

कभी आँख में कभी मन में

कभी पीठ पर

हाथ कुछ नहीं लगता

न नाम न रूप

अस्तित्व का आँगन

कृतज्ञता की धूप से भरा है

और तिस पर भी

सूना है विस्तार

देहरी से ठाकुरद्वारे तक का

पाने और खोने के

कोने ही कोने गड़ते हैं

पीठ में

मन में दीठ में

 

 

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