Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Tumhari aur se“ , “तुम्हारी ओर से” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तुम्हारी ओर से

Tumhari aur se

 

मढ़ी गई है मेरे ऊपर

तन्तु जो तुम्हारा बाँधे है मुझे

इच्छा जो अचल है 

तुमसे आच्छादित रहने की

आशा जो अविचल है मेरी

तुममें समा जाने की

कैसे उसे  उतारूँ

कैसे उसे तोडूं कैसे उसे छोडूं

जोडूं कैसे अब इन सबको

अपने या पराये किसी छोर से

तुम्हारी और से जो मढ़ा गया है

नशा-सा चढ़ा गया है वह मुझ पर

ठगी सी बुद्धी को जगाऊँगा

तो कौन कह सकता है

लजाऊंगा  नहीं

होश में आने पर!

 

 

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