Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Red Ribbon Express”,”रेड रिबन एक्सप्रेस” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रेड रिबन एक्सप्रेस

 Red Ribbon Express

रेड रिबन एक्सप्रेस

घूमि रहल अछि चारू दिस

अश्वमेधक घोड़ा जकाँ।

घराड़ी-बरारीक देवालकें

‘आखी’ लत्ती जकाँ छेकने

लाल तिकोनकें

धकिया रहल छै रेड रिबन।

साम्प्रदायिक रामायणक अन्त्येष्टि क’ क’

स्कूलक मास्टरजी चटिया सभकें

पढ़ा रहल छथिन-कामायन।

कोना सात फेराक लपेटसँ उन्मुक्त भ’

यौन-सुख प्राप्त करी-

नवका फुक्कासँ,

ज्ञान द’ रहल छथिन मास्टरजी

बुझा रहल छथिन-डासग्रामसँ, थ्योरीसँ

नहि बुझला पर प्रैक्टिससँ।

मैकालेक बनाओल

स्कूलक चारू कात

कटि रहल छै मेहदीक वंश

बढ़ि रहल छै नागफेनीक बेढ़।

विषवृक्षक छाँहमे

योगक पटिया उनटा क’

यौन-शिक्षा देल जाइछ।

एकटा सांस्कृतिक धूर्ततासँ

कसल जा रहल अछि ब्रह्मचर्यक

समस्त ज्ञानतन्तु।

फगुआ-देबारीसँ बेसी

पुनीत पर्व अछि एड्स दिवस।

नवताक आवेशी डिप्टी साहेबक

वारण्टी आदेशसँ

केराबक अँकुरी-सन

नान्ह-नान्ह स्कूली छात्र-छात्रा

कण्डोमक प्रचार करैत अछि।

मुँह बबैत बाबा-बाबी

सुनै छथि नव भिक्षु-भिक्षुणीक उपदेश।

एकटा कृत्रिम अदंकसँ ।

 

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