Hindi Poem of Chandrasen Virat “ Gao ki jiye jeevan”,”गाओ कि जिये जीवन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गाओ कि जिये जीवन

 Gao ki jiye jeevan

गंधर्व, गीत के ओ! कबसे पुकारता हूँ

आओ कि मौत सहमे, गाओ कि जिए जीवन ।

यह निपट अकेलापन, मन की रुई न धुन दे

यह मौत कहीं मुझको, दीवार में न चुन दे

पाया मुझे अकेला, धमका दिया मरण ने

ज़िंदा रखा अभी तक, बस गीत की शरण ने

आओ न तुम अगर तो अवसर मिले व्यथा को

सब वक्ष के व्रणों की देगी उधेड़ सीवन ।

ईंधन बचा हुआ है, ब़ाकी अभी अगन है

हम नित्य गा रहे तो यह ज़िंदगी मगन है

वैसे मरण-महावर पर पाँव में रचा है

मारा गया बहुत पर, जीवन अभी बचा है

अनुपात यह हमेशा, यों ही बना रहे तो

हो अश्रु-ताप पर अब चंदन-सुहास लेपन ।

गाओ कि गीत से ही, धरती, गगन, दिशा है

स्वर शेष, साँस, स्पंदन, ब़ाकी जिजीविषा है

देखो कि गीत वाला स्वर मंद हो न जाए

यह द्वार खुला जीवन का, बंद हो न जाए

जीते न मौत बाज़ी, हारे न कभी जीवन

अर्थी इधर, उधर हो, नव-जन्म-थाल-वादन ।

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