Hindi Poem of Chandrasen Virat “ Prasang galat he”,”प्रसंग ग़लत है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

प्रसंग ग़लत है

 Prasang galat he

दिया गया संदर्भ सही पर

अवसर और प्रसंग ग़लत है ।

भाव, अमूर्त और अशरीरी

वह अनुभव की वस्तु रहा है

चित्र न कर पाया रूपायित

शब्दों ने ही उसे कहा है

उसका कल्पित रूप सही पर

दृश्यमान हर रंग ग़लत है ।

जब विश्वास सघन होता तब

संबंधो का मन बनता है

गगन तभी भूतल बनता है

भूतल तभी गगन बनता है

सही, प्रेम में प्रण करना पर

करके प्रण, प्रण-भंग ग़लत है ।

संस्तुति, अर्थ, कपट से पायी

जो भी हो उपलब्धि हीन है

ऐसा, तन से उजला हो पर

मन से वह बिलकुल मलीन है

शिखर लक्ष्य हो, सही बात पर

उसमें चोर-सुरंग ग़लत है ।

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