Hindi Poem of Dhananjay singh “ Deep jalane aa gye he”,”दीपक जलाने आ गए हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दीपक जलाने आ गए हैं

 Deep jalane aa gye he

इस तरह छाया क्षितिज पर था अन्धेरा

शाम का ही रूप धर बैठा सवेरा

इसलिए अब हम हृदय-दीपक जलाने आ गए हैं

आज हम उजियार का उत्सव मनाने आ गए हैं ।

एक दीपक बन स्वयं हम

स्नेह जीवन में भरेंगे और

जिनके मन अन्धेरों से घिरे हैं

आज अन्तर-ज्योति से उनके भरेंगे

पर किरण का बिम्ब दीखे हर दिशा में

हम उसे दर्पण दिखाने आ गए हैं ।

रह न जाए अब कहीं भी रात काली

इसलिए यह ज्योति अन्तस् में जला ली

चिह्न भी मिलने न पाए अब तिमिर का

इस तरह से हम मनाएँगे दिवाली

न्याय-समता-प्रेम के दीपक जलेंगे

हम विषमता को मिटाने आ गए हैं ।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.