Hindi Poem of Om Prabhakar “  Sham ke sahil se uthkar chal diye”,”शाम के साहिल से उठकर चल दिए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शाम के साहिल से उठकर चल दिए

 Sham ke sahil se uthkar chal diye

 

शाम के साहिल से उठकर चल दिए

दिन समेटा, रात के घर चल दिए।

हर तरफ़ से लौटकर आख़िर तभी

तेरे मक़्तल की तरफ़ सर चल दिए।

इक अज़ाने बेनवा ऎसी उठी

झूम कर मिनारो-मिम्बर चल दिए।

है उफ़क के पार सबका आशियाँ

ये सुना तो सारे बेघर चल दिए।

छू गए गर तेरे दामन से कभी

ख़ार भी होकर मुअत्तर चल दिए।

 

 

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