Hindi Poem of Dhananjay singh “Futa geet naya”,”फूटा गीत नया” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

फूटा गीत नया

 Futa geet naya

मन पर घिरा कुहासे वाला

मौसम बीत गया

इन्द्रधनुष रचती किरणों का

फूटा गीत नया ।

हरसिंगार झरे

टहनी-टहनी पंछी चहके

जूही, केतकी, वनचम्पा

बनकर सपने महके

गया

उदासी बुननेवाला

स्याह अतीत गया ।

खिली कुमुदिनी ने सौरभ के

गन्ध-पत्र बाँटे

सिहरन जगी रोम-कूपों में

उग आये काँटे

झोंका

मलय-पवन का

मन पर क्या-क्या चीत गया ।

चंचल हुआ झील का पानी

दरक गई काई

नभ से उतरी सोनमछरिया

जल में लहराई

पतझर से

कोंपल का सपना

फिर-फिर जीत गया ।

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