Hindi Poem of Gopal Singh Nepali “Vasant geet”,”वसंत गीत” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वसंत गीत

 Vasant geet

ओ मृगनैनी, ओ पिक बैनी,

तेरे सामने बाँसुरिया झूठी है!

रग-रग में इतना रंग भरा,

कि रंगीन चुनरिया झूठी है!

मुख भी तेरा इतना गोरा,

बिना चाँद का है पूनम!

है दरस-परस इतना शीतल,

शरीर नहीं है शबनम!

अलकें-पलकें इतनी काली,

घनश्याम बदरिया झूठी है!

रग-रग में इतना रंग भरा,

कि रंगीन चुनरिया झूठी ह!

क्या होड़ करें चन्दा तेरी,

काली सूरत धब्बे वाली!

कहने को जग को भला-बुरा,

तू हँसती और लजाती!

मौसम सच्चा तू सच्ची है,

यह सकल बदरिया झूठी है!

रग-रग में इतना रंग भरा,

कि रंगीन चुनरिया झूठी है!

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