Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “ Ek aur naya geet“ , “एक और नया गीत” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक और नया गीत

 Ek aur naya geet

चम्पा ने

जब पलाश को देखा

थोड़ी-सी और खिल गई!

एक की हथेली ने पोंछ लिया

दूजे के माथ का पसीना।

सहसा आसान हो गया जीना

बिन खोजे राह मिल गई!

चम्पा ने…!

ईहा की बंधी हुई मुट्ठियाँ

जीवन के उठे हुए पाँव

देख–फ़र्क़ अपना खो बैठे हैं

जाड़ा-बरसात– धूप-छाँव!

कुण्ठा की नींव हिल गई!

चम्पा ने…।

 

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