Hindi Poem of Dhananjay singh “To Tumhi kaho”,”तो तुम्हीं कहो” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तो तुम्हीं कहो

 To Tumhi kaho

कोई उजली भीगी बदली

आकर कन्धे पर झुक जाए

तो तुम्हीं कहो वह भीगापन

जी लूँ या तन-मन जलने दूँ?

मैं प्यास छिपाए फिरता हूँ

बादल से, सरिता जल से भी

यद्यपि अधरों का परिचय है

बिजली से भी, उत्पल से भी

कोई हिम-खण्ड तपन मेरी

हरने को आतुर हो जाए

तो तुम्हीं कहो वह शीतलता

पी लूँ या कण-कण ढलने दूँ?

अनकही हमारी सब बातें

ये दीवारें सुन लेती हैं

फिर अपनी सुविधाओं वाला

ताना-बाना बुन लेती हैं

यदि तोड़ भ्रमों का इन्द्रजाल

कोई वातायन खुल जाए

तो तुम्हीं कहो तम की परतें

मैं छीलूँ या भ्रम पलने दूँ?

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