Hindi Poem of Dushyant Kumar “  Geet ka janam“ , “गीत का जन्म” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गीत का जन्म

 Geet ka janam

 

एक अन्धकार बरसाती रात में

बर्फ़ीले दर्रों-सी ठंडी स्थितियों में

अनायास दूध की मासूम झलक सा

हंसता, किलकारियां भरता

एक गीत जन्मा

और देह में उष्मा

स्थिति संदर्भॊं में रोशनी बिखेरता

सूने आकाशों में गूंज उठा:

-बच्चे की तरह मेरी उंगली पकड़ कर

मुझे सूरज के सामने ला खड़ा किया ।

यह गीतजो आज चहचहाता है

अन्तर्वासी अहम से भी स्वागत पाता है

नदी के किनारे या लावारिस सड़कों पर

नि:स्वन मैदानों में

या कि बन्द कमरों में

जहां कहीं भी जाता है

मरे हुए सपने सजाता है-

बहुत दिनों तड़पा था अपने जनम के लिये ।

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