Hindi Poem of Ghalib “Apna Ahval-e-zaar kahu , “अपना अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार कहूँ ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

अपना अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार कहूँ – ग़ालिब

Apna Ahval-e-zaar kahu -Ghalib

 

ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाले यार [1]होता
अगर और जीते रहते यही इन्तज़ार होता

शब्दार्थ:
[1]प्रिय से मिलन

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.