Hindi Poem of Gopal Prasad Vyas “Eji kahu ki oji kahu“ , “एजी कहूँ कि ओजी कहूँ?” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एजी कहूँ कि ओजी कहूँ?
Eji kahu ki oji kahu

एजी’ कहूँ कि ‘ओजी’ कहूँ
‘सुनोजी’ कहूँ कि ‘क्योंजी’ कहूँ
‘अरे ओ’ कहूँ कि ‘भाई’ कहूँ
कि सिर्फ भई ही काफी है?
अब तुम्हीं कहो, क्या कहूँ?
तुम्हारे घर में कैसे रहूँ?

‘सरो’ कहूँ या ‘सरोजिनी’
पर नाम न तुम लेने देतीं
तो ‘जग्गो’ की जीजी कह दूं?
ए ‘शीला की संगिनि’ बोलो
तुम मुरली की महतारी हो,
‘बोबो’ की बेटी प्यारी हो,
तुम ‘चंद्रकला की चाची’ हो,
तुम ‘भानामल की बूआ’ हो,
तुम हो ‘गुपाल की बहू’
……….कहो क्या कहूँ?
तुम्हारे घर में कैसे रहूँ?

कुछ नए नाम ईज़ाद करूँ,
प्राचीन प्रथा बर्बाद करूँ,
या रूप, शील, गुण, कर्मों से ही
तुम्हें पुकारूँ याद करूँ?

कि ‘बुलबुल’ कहूँ कि ‘मैना’ कहूँ,
कि मेरी ‘सोनचिरय्‌या’ बोलो तो,
ये रसमय अपनी चोंच
‘कोयलिया’ खोलो तो!

तुम संकल-चम्मच बजा-बजाकर
अपना काम चला लेतीं।
तो मुझको भी क्यों नहीं,
कनस्तर टूटा-सा मंगवा देतीं?

या खुद ही किसी रोज
देवी के मेले में मैं जाऊँगा,
औ’ छोटी-सी डुमडुमी एक
अच्छी खरीदकर लाऊँगा।

फिर संबोधन की सकल समस्या
पल में हल हो जाएगी,
जब कभी बुलाना होगा तो
डुमडुम डुमडुमी बजाऊँगा।

तुम रूठ गईं, ये ठीक नहीं,
तो कहो ‘अटकनी’ कहूँ?
‘मटकनी’ कहूँ, ‘चटखनी’ कहूँ?
अब तुम्हीं कहो, क्या कहूँ?
तुम्हारे घर में कैसे रहूँ?

मैं ‘हनी’ कहूँ या ‘डियर’ कहूँ?
या ‘डार्ल’ पुकारूँ अंग्रेजी?
या स्वयं देवता बन जाऊं?
औ’ तुम्हें पुकारूँ ‘देवीजी’?
ये देवी नहीं पसंद
कि ‘मैंने कहा’ इसे भी रहने दो।
तुम ‘मेरी कसम’ मान जाओ
बस ‘कामरेड’ ही कहने दो।

ऐ कामरेड, घर गवर्मिंट
मेरी स्टालिन, बोलो तो
मैं चर्चिल कब का खड़ा
अरी, फौलादी मुखड़ा खोलो तो?

कि ‘बिजली’ कहूँ कि ‘इंजिन’ कहूँ
कि मेरी ‘बख्तरबंद टैंक गाड़ी’?
अब तुम्हीं कहो, क्या कहूँ?
तुम्हारे घर में कैसे रहूँ?

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