Hindi Poem of Nander Sharma “  Mere geet bade hariyale”,”मेरे गीत बड़े हरियाले” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मेरे गीत बड़े हरियाले

 Mere geet bade hariyale

 

मेरे गीत बड़े हरियाले,

मैने अपने गीत,

सघन वन अन्तराल से

खोज निकाले

मैँने इन्हे जलधि मे खोजा,

जहाँ द्रवित होता फिरोज़ा

मन का मधु वितरित करने को,

गीत बने मरकत के प्याले!

कनक-वेनु, नभ नील रागिनी,

बनी रही वंशी सुहागिनी

सात रंध्र की सीढ़ी पर चढ़,

गीत बने हारिल मतवाले!

देवदारु की हरित-शिखर पर

अन्तिम नीड़ बनायेँगे स्वर,

शुभ्र हिमालय की छाया मेँ,

लय हो जायेँगे, लय वाले!

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