Hindi Poem of Nander Sharma “  Madhu ke din mere gye beet”,”मधु के दिन मेरे गए बीत” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मधु के दिन मेरे गए बीत

 Madhu ke din mere gye beet

 

मधु के दिन मेरे गए बीत!(२)

मैँने भी मधु के गीत रचे,

मेरे मन की मधुशाला मेँ

यदि होँ मेरे कुछ गीत बचे,

तो उन गीतोँ के कारण ही,

कुछ और निभा ले प्रीत-रीत!

मधु के दिन मेरे गए बीत!(२)

मधु कहाँ, यहाँ गंगा-जल है!

प्रभु के चरणोँ मे रखने को,

जीवन का पका हुआ फल है!

मन हार चुका मधुसदन को,

मैँ भूल चुका मधु-भरे गीत!

मधु के दिन मेरे गए बीत!(२)

वह गुपचुप प्रेम-भरीँ बातेँ,(२)

यह मुरझाया मन भूल चुका

वन-कुंजोँ की गुंजित रातेँ (२)

मधु-कलषोँ के छलकाने की

हो गई , मधुर-बेला व्यतीत!

मधु के दिन मेरे गए बीत!(२)

 

 

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