Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Sham ek kisan“ , “शाम-एक किसान” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शाम-एक किसान

 Sham ek kisan

आकाश का साफ़ा बाँधकर

सूरज की चिलम खींचता

बैठा है पहाड़,

घुटनों पर पड़ी है नही चादर-सी,

पास ही दहक रही है

पलाश के जंगल की अँगीठी

अंधकार दूर पूर्व में

सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्‍ले-सा।

अचानक- बोला मोर।

जैसे किसी ने आवाज़ दी-

‘सुनते हो’।

चिलम औंधी

धुआँ उठा-

सूरज डूबा

अंधेरा छा गया।

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