Hindi Poem of Purnima Verman “Magar bajti rahi fir bhi koi jhankar chutki me“ , “मगर बजती रही फिर भी कोई झनकार चुटकी में” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मगर बजती रही फिर भी कोई झनकार चुटकी में
Magar bajti rahi fir bhi koi jhankar chutki me

कभी इन्कार चुटकी में, कभी इक़रार चुटकी में
कभी सर्दी ,कभी गर्मी, कभी बौछार चुटकी में

ख़ुदाया कौन-से बाटों से मुझको तौलता है तू
कभी तोला, कभी माशा, कभी संसार चुटकी में

कभी ऊपर ,कभी नीचे ,कभी गोते लगाता-सा
अजब बाज़ार के हालात हैं लाचार चुटकी में

ख़बर इतनी न थी संगीन अपने होश उड़ जाते
लगाई आग ठंडा हो गया अख़बार चुटकी में

न चूड़ी है, न कंगन है, न पायल है ,न हैं घुँघरू
मगर बजती रही फिर भी कोई झनकार चुटकी में

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