Hindi Poem of Virendra Mishra “ Rah Gya sab kuch“ , “रह गया सब कुछ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रह गया सब कुछ

 Rah Gya sab kuch

रह गया सब कुछ बिखर कर

इन दिनों है दुख शिखर पर

एक पल में हो गया सब कुछ अधूरा

कुछ हुआ ऐसा कि टूटा तानपूरा

शब्द का संगीत चुप है काँपता हर गीत थर-थर

और ऊपर उठ रही है तेज़ धारा

यह किसी रूठी नदी का है इशारा

द्वीप जैसा हो गया है बाढ़ में घिरता हुआ घर

देखने में नहीं लगता साधुओं सा

दुख शलाका पुरुष-सा है आँसुओं का

रहा आँखों में बहुत दिन आज है लंबे सफ़र पर।

 

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