Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “ Tera man darpan kahlaye“ , “तोरा मन दर्पण कहलाये” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तोरा मन दर्पण कहलाये

 Tera man darpan kahlaye

प्राणी अपने प्रभु से पूछे किस विधि पाऊँ तोहे

प्रभु कहे तु मन को पा ले, पा जायेगा मोहे

तोरा मन दर्पण कहलाये

तोरा मन दर्पण कहलाये

भले बुरे सारे कर्मों को, देखे और दिखाये

तोरा मन दर्पण कहलाये

तोरा मन दर्पण कहलाये

मन ही देवता, मन ही ईश्वर, मन से बड़ा न कोय

मन उजियारा जब जब फैले, जग उजियारा होय

इस उजले दर्पण पे प्राणी, धूल न जमने पाये

तोरा मन दर्पण कहलाये

तोरा मन दर्पण कहलाये

सुख की कलियाँ, दुख के कांटे, मन सबका आधार

मन से कोई बात छुपे ना, मन के नैन हज़ार

जग से चाहे भाग लो कोई, मन से भाग न पाये

तोरा मन दर्पण कहलाये

तोरा मन दर्पण कहलाये

तन की दौलत ढलती छाया मन का धन अनमोल

तन के कारण मन के धन को मत माटी में रौंद

मन की क़दर भुलानेवाला वीराँ जनम गवाये

तोरा मन दर्पण कहलाये

तोरा मन दर्पण कहलाये

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