Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “ Ganga tera pani amrit“ , “गंगा तेरा पानी अमृत” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गंगा तेरा पानी अमृत

 Ganga tera pani amrit

गंगा तेरा पानी अमृत झर-झर बहता जाए

युग-युग से इस देश की धरती तुझसे जीवन पाए

गंगा तेरा पानी…

दूर हिमालय से तू आई गीत सुहाने गाती

बस्ती-बस्ती पर्वत-पर्वत सुख-संदेश सुनाती

तेरी चाँदी जैसी धारा मीलों तक लहराए

गंगा तेरा पानी…

कितने सूरज उभरे-डूबे गंगा तेरे द्वारे

युगों-युगों की कथा सुनाएँ तेरे बहते धारे

तुझको छोड़ के भारत का इतिहास लिखा न जाए

गंगा तेरा पानी…

इस धरती का दुख-सुख तूने अपने बीच समोया

जब-जब देश ग़ुलाम हुआ है तेरा पानी रोया

जब-जब हम आज़ाद हुए हैं तेरे तट मुस्काए

गंगा तेरा पानी…

खेतों-खेतों तुझसे जागी धरती पर हरियाली

फ़सलें तेरा राग अलापें झूमे बाली-बाली

तेरा पानी पी कर मिट्टी सोने में ढल जाए

गंगा तेरा पानी …

तेरे दान की दौलत ऊँचे खलिहानों में ढलती

ख़ुशियों के मेले लगते मेहनत की डाली फलती

लहक-लहक कर धूम मचाते तेरी गोद में जाए

गंगा तेरा पानी …

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