Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Rishte“ , “रिश्ते” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रिश्ते

 Rishte

खुद कपड़े पहने

दूसरे को कपड़े पहने देखना

खुद कपड़े पहने

दूसरे को कपड़े न पहने देखना

खुद कपड़े न पहने

दूसरे को कपड़े न पहने देखना

तीन अलग- अलग रिश्ते बनाना है

इनमें से

पहले से तुम्हें मन बहलाना है

दूसरे को खोजने जाना है

तीसरे के साथ मिलकर

क्रान्ति और सृजन का परचम उठाना है।

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