Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Tumhare liye“ , “तुम्हारे लिए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तुम्हारे लिए

 Tumhare liye

काँच की बन्द खिड़कियों के पीछे

तुम बैठी हो घुटनों में मुँह छिपाए।

क्या हुआ यदि हमारे-तुम्हारे बीच

एक भी शब्द नहीं।

मुझे जो कहना है कह जाऊँगा

यहाँ इसी तरह अदेखा खड़ा हुआ,

मेरा होना मात्र एक गन्ध की तरह

तुम्हारे भीतर-बाहर भर जाएगा।

क्योंकि तुम जब घुटनों से सिर उठाओगी

तब बाहर मेरी आकृति नहीं

यह धुंधलाती शाम

और आँच पर जगी एक हल्की-सी भाप

देख सकोगी

जिसे इस अंधेरे में

तुम्हारे लिए पिघलकर

मैं छोड़ गया होऊँगा।

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