Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “ Soye hue logo ke beech jagna pad raha he mujhe” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सोये हुए लोगों के बीच जागना पड़ रहा है मुझे

 Soye hue logo ke beech jagna pad raha he mujhe

सोये हुए लोगों के बीच जागना पड़ रहा है मुझे

परछाइयों से नीद में लड़ते हुए लोग

जीवन से अपरिचित अपने से भागे

अपने जूतों की कीलें चमका कर संतुष्ट

संतुष्ट अपने झूठ की मार से

अपने सच से मुँह फेर कर पड़े

रोशनी को देखकर मूँद लेते हैं आँखें

सोते हुए लोगों के बीच जागना पड़ रहा है मुझे

ऋतुओं से डरते हैं, ये डरते हैं ताज़ा हवा के झोंकों से

बारिश का संगीत इन पर कोई असर नहीं डालता

पहाड़ों की ऊँचाई से बेख़बर

समन्दरों की गहराई से नावाकिफ़

रोटियों पर लिखे अपने नाम की इबारत नहीं पढ़ सकते

तलाश नहीं सकते ज़मीन का वह टुकड़ा जो इनका अपना है

सोये हुए लोगों के बीच जागना पड़ रहा है मुझे

इनकी भावना न चुरा ले जाए कोई

चुरा न ले जाए इनका चित्र

इनके विचारों की रखवाली करनी पड रही है मुझे

रखवाली करनी पड रही है इनके मान की

सोये हुए लोगों के बीच जागना पड़ रहा है मुझे

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