Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “Vidhvans ka swarg“ , “विध्वंस का स्वर्ग” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

विध्वंस का स्वर्ग

 Vidhvans ka swarg

चिड़िया की चोंच से छिटके दाने की तरह

विचार गिरा है भूमि पर अभी-अभी

ध्वंस का संकेत पा चुकी है पृथ्वी

विस्फोट कितना शांत है

कितना शांत है नष्ट होने के क्रम में संसार

ब्रह्मांड कितना शांत है

नयी सृष्टि के सपनों से लैस

आकृतियों का उच्छृंखल अनुनाद

ध्वनियों में धधक भर रहा है दिन-रात

कि कोई छाया ही बची रह जाए कहीं छोटी-सी

मृत्यु की पलकें धीरे-धीरे खुल रही हैं

जीवन को जन्म लेता देखने के लिए

बार-बार

नाश के मानचित्र में

अंकित हो रहा है

विध्वंस का स्वर्ग

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