Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Akele pedo ka toofan“ , “अकेले पेड़ों का तूफ़ान” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अकेले पेड़ों का तूफ़ान

Akele pedo ka toofan

फिर तेजी से तूफ़ान का झोंका आया

और सड़क के किनारे खड़े

सिर्फ एक पेड़ को हिला गया

शेष पेड़ गुमसुम देखते रहे

उनमें कोई हरकत नहीं हुई।

जब एक पेड़ झूम-झूम कर निढाल हो गया

पत्तियाँ गिर गयीं

टहनियाँ टूट गयीं

तना ऐंचा हो गया

तब हवा आगे बढ़ी

उसने सड़क के किनारे दूसरे पेड़ को हिलाया

शेष पेड़ गुमसुम देखते रहे

उनमें कोई हरकत नहीं हुई।

इस नगर में

लोग या तो पागलों की तरह

उत्तेजित होते हैं

या दुबक कर गुमसुम हो जाते हैं।

जब वे गुमसुम होते हैं

तब अकेले होते हैं

लेकिन जब उत्तेजित होते हैं

तब और भी अकेले हो जाते हैं।

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