Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Chamatkar ki pratiksha“ , “चमत्कार की प्रतीक्षा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चमत्कार की प्रतीक्षा

Chamatkar ki pratiksha

क्या अब भी कोई चमत्कार घटित होगा?

जैसे कि ऊपर से गुजरती हुई हवा

तुम्हारे सामने साकार खड़ी हो जाए

और तुम्हारा हाथ पकड़कर कहे

तुम्हारे वास्ते ही यहाँ तक आई थी

अब कहीं नहीं जाऊंगी।

या यह दोपहर ही

जो, हर पत्ती, हर डाल, हर फूल पर लिपटी हुई

धीरे-धीरे कपूर कि तरह

बीत रही है

सहसा कुंडली से फन उठाकर कहे —

मुझे नचाओ

मैं तुम्हारी बीन पर

नाचने आई हूँ।

या यह उदास नदी

जो न जाने कितने इतिहासों को बटोरती

समुद्र की ओर बढ़ती जा रही है

अचानक मुद कर कहे–

मुझे अपनी अँजली में उठा लो

मैं तुम्हारी अस्थियों को

मैं तुम्हारी अस्थियों को

मुक्त करने आई हूँ।

या इन सबसे बड़ा चमत्कार

हवा जैसे गुज़रती है गुज़र जाए

दोपहर जैसे बीतती है बीत जाए

नदी जैसे बहती है बह जाए

सिर्फ तुम

जैसे गुज़र रहे हो गुज़रना बंद कर दो

जैसे बीत रहे हो बीतना बंद कर दो

जैसे बह रहे हो बहना बंद कर दो।

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