Hindi Poem of Balkavi Beragi “  Shishuo ke liye kavitaye 3”,”शिशुओं के लिए कविताएँ-3” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शिशुओं के लिए कविताएँ-3

 Shishuo ke liye kavitaye 3

 

कंधे पर बंदूक चढ़ा कर,

ज्यों ही चला सिपाही ।

थर-थर लगा काँपने दुश्मन,

शामत आई! शामत आई!!

चाचा जी ने कुत्ता पाला,

चाची जी ने बिल्ली ।

मैंने जब तोता पाला तो,

गुस्सा हो गई दिल्ली ।।

पापा जी ने कार ख़रीदी,

मम्मी जी ने साड़ी ।

मैंने जब आइसक्रीम ख़रीदी,

तब चल पाई गाड़ी ।।

नुक्कड़-नुक्कड़ रीछ नचाता,

और कूटता पेट ।

मुफ़्त तमाशा देख-देख कर,

तोंद खुजाता सेठ ।।

हमको समझाओ टीचर जी,

आख़िर ये है किसकी मर्ज़ी ।

बच्चे हलके, बस्ता भारी,

सॉरी-सॉरी, वेरी सॉरी ।।

 

 

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