Hindi Poem of Dinesh Singh “Ran me baras karte hue”,”रण में बसर करते हुए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रण में बसर करते हुए

 Ran me baras karte hue

व्यूह से तो निकलना ही है

समर करते हुए

रण में बसर करते हुए ।

हाथ की तलवार में

बाँधे क़लम

लोहित सियाही

सियासत की चाल चलते

बुद्धि कौशल के सिपाही

ज़हर-सा चढ़ते गढ़े जज़्बे

असर करते हुए

रण में बसर करते हुए ।

बदल कर पाले

घिनाते सब

उधर के प्यार पर

अकीदे की आँख टिकती

जब नए सरदार पर

कसर रखकर निभाते

आबाद घर करते हुए

रण में बसर करते हुए ।

धार अपनी माँज कर

बारीक करना

तार-सा

निकल जाना है

सुई की नोक के उस पार सा

ज़िन्दगी जी जाएगी

इतना सफ़र करते हुए

रण में बसर करते हुए ।

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