Hindi Poem of Ravindra Bharamar “De Diya mene“ , “दे दिया मैंने” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दे दिया मैंने

De Diya mene 

आज का यह दिन

तुम्हें दे दिया मैंने

आज दिन भर तुम्हारे ही ख़यालों में लगा मेला,

मन किसी मासूम बच्चे-सा फिरा भटका अकेला,

आज भी तुम पर

भरोसा किया मैंने ।

आज मेरी पोथियों में शब्द बनकर तुम्हीं दीखे,

चेतना में उग रहे हैं अर्थ कितने मधुर-तीखे,

जिया मैंने ।

आज सारे दिन बिना मौसम घनी बदली रही है,

सहन आँगन में उमस की, प्यास की धारा बही है,

सुबह उठकर नाम जो

ले लिया मैंने ।

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