Hindi Poem of Ravindra Bharamar “ Badalte Sandarbh“ , “बदलते सन्दर्भ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बदलते सन्दर्भ

 Badalte Sandarbh

सारा संदर्भ

बदल जाता है ।

इस कोने के फूलदान को

ज़रा उस कोने कीजिए,

इस आले के दर्पण को

उस आले,

या इस मेज़ का रुख़

ज़रा-सा यूँ

कि उधरवाली खिडकी का

आकाश दिखाई पडने लगे!

सारा संदर्भ

बदल जाता है

प्रत्येक दृश्य

नए-नए अर्थ देने लगता है

इस-ऐसे अनूठे

सत्य की उपलब्धि

मुझे तब हुई

जब

इधर की दीवार पर लगे

तुम्हारे चित्र को

मैंने उधर की दीवार पर लगा दिया!

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