Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “ Kud padi hanjuri kuye me“ , “कूद पड़ी हंजूरी कुएँ में” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कूद पड़ी हंजूरी कुएँ में

 Kud padi hanjuri kuye me

काम न मिलने पर

अपने तीन भूखे बच्चों को लेकर

कूद पड़ी हंजूरी कुएँ में

कुएँ का पानी ठंडा था।

बच्चों की लाश के साथ

निकाल ली गई हंजूरी कुएँ से

बाहर की हवा ठंडी थी।

हत्या और आत्महत्या के अभियोग में

खड़ी थी हंजूरी अदालत में

अदालत की दीवारें ठंडी थीं।

फिर जेल में पड़ी रही

हंजूरी पेट पालती

जेल का आकाश ठंडा था।

लेकिन आज अब वह जेल के बाहर है

तब पता चला है

कि सब-कुछ ठंडा ही नहीं था-

सड़ा हुआ था

सड़ा हुआ है

सड़ा हुआ रहेगा

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