Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “ Raat me varsha“ , “रात में वर्षा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रात में वर्षा

 Raat me varsha

मेरी साँसों पर मेघ उतरने लगे हैं,

आकाश पलकों पर झुक आया है,

क्षितिज मेरी भुजाओं में टकराता है,

आज रात वर्षा होगी।

कहाँ हो तुम?

मैंने शीशे का एक बहुत बड़ा एक्वेरियम

बादलों के ऊपर आकाश में बनाया है,

जिसमें रंग-बिरंगी असंख्य मछलियाँ डाल दी हैं,

सारा सागर भर दिया है।

आज रात वह एक्वेरियम टूटेगा-

बौछारे की एक-एक बूँद के साथ

रंगीन छलियाँ गिरेंगी।

कहाँ हो तुम?

मैं तुम्हें बूँदों पर उड़ती

धारों पर चढ़ती-उतरती

झकोरों में दौड़ती, हाँफती,

उन असंख्य रंगीन मछलियों को दिखाना चाहता हूँ

जिन्हें मैंने अपने रोम-रोम की पुलक से आकार दिया है।

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