Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Megh aaye“ , “मेघ आए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मेघ आए

 Megh aaye

मेघ आए बड़े बन-ठन के, सँवर के ।

आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली

दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली

पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के ।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए

आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए

बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरके ।

बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जुहार की

‘बरस बाद सुधि लीन्ही’

बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की

हरसाया ताल लाया पानी परात भर के ।

क्षितिज अटारी गदराई दामिनि दमकी

‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’

बाँध टूटा झर-झर मिलन अश्रु ढरके

मेघ आए बड़े बन-ठन के, सँवर के ।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.