Hindi Poem of Shriprakash Shukal “  Dipawali me satyagrah”,”दीपावली में सत्याग्रह” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दीपावली में सत्याग्रह

 Dipawali me satyagrah

 

अबकी दीपावली में मन काफ़ी हरा और भरा था

अबकी बरसात भी ठीक-ठाक हुई थी

और अबकी मौसम भी काफी अच्छा था

धान भी खूब गदराया हुआ था

यह खेतों से उठकर आई मिट्टी के लहराने का समय था

तालाब थका और शांत था

सूरज शिथिल और संकोच से भरा हुआ था

और आदमी अपने हाथों की छुवन के बीच

हरी-हरी दूबों जैसा

मुलायम और गर्म था

यहाँ बरसात का थिहाया हुआ संकोच था

जिसमें सूरज की किरनें

आहिस्ता आहिस्ता सँवला रही थी

और धरती अपनी दरारों को पाट रही थी

यहाँ पिछले के छूट गए का उत्साह था

तो उमगते यौवन के बीच मुस्कुराते जाने का उन्माद था

यहाँ सावन से ही कार्तिक में फलाँगने की कोशिश थी

जहाँ बेसुध नायिका की तरह उमड़ता हुआ बाज़ार था

जिसमें सूखी बत्तियों से नौ मन तेल टपक रहा था

और सैकड़ों दीपक बगैर बत्ती के चमक रहे थे

यहां पूर्णिमा की गमक थी

तो आषाढ़ की धमक

जहाँ चारों ओर यमक ही यमक था ।

यहाँ बाज़ार में रोशनी के साथ ढेर सारी ध्वनियाँ थीं

लावा, लाई और गट्टे के बीच

तरह-तरह के मोम की बहार थी

यहां घूरे से लेकर पूरे तक

सरसों के तेल की महक थी

फिर भी बाती के नोक भर की जगह

दीये में शेष थी ।

कहीं-कहीं भड़ेसर भी दिख ही रहा था

जो कुम्हार के चाक से निकलने के बाद

पहली बार स्वाधीनता का गट्टा चख रहा था ।

यहाँ सब कुछ ठीक-ठाक था

और ढलती शाम से ही चढ़ती रात का इंतज़ार था

यहाँ प्रेम चारों ओर था और मिलन की एक सामूहिक बेचैनी सतह पर तैर रही थी ।

कहीं राज्याभिषेक था तो कहीं नरकासुर का बध

कहीं इंद्र का दर्प था तो कहीं कृष्ण का संहार

कहीं लक्ष्मी की आवाजाही थी तो कहीं दरिद्र के ख़िलाफ़ अभियान

कहीं सुंदर-सुंदर पाँव थे तो कहीं आवक पर फिसलते हुये दाँव ।

यहाँ सब कुछ था

शाम थी, रात थी, उत्सव था, उत्साह था, लोग थे, बाज़ार था, पूजा थी, पुण्य था,

लेकिन नहीं थे

तो किसिम-किसिम के कीड़े

जो राज्योत्सव के इस मौसम में

श्रद्धालुओं की शक़्ल में प्रतिवर्ष यहाँ पर आ जाया करते थे

कभी न लौटने की अनकही कहानियों के साथ ।

अब यह बदलते मौसम का तकाजा था

या कीड़ों के नागरिक समाज का विस्तार

कहना कठिन है

लेकिन इतना तय है कि कीड़ो की दुनिया में

यह पहला सत्याग्रह था

जहाँ कीड़ों ने जलने से मना कर दिया था!

 

 

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