Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Ji bhar roya”,”जी भर रोया” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जी भर रोया

 Ji bhar roya

रोज एक परिजन को खोया

पाकर लम्बी उमर आज मैं

जी भर रोया।

जिनके साथ उठा-बैठा

पर्वत-शिखरों पर

उनको आया सुला

दहकते अंगारों पर

जो था मुझे जगाता

सारी रात हँसा कर

वह है खुद लहरों पर सोया।

एक-एक कर तजे सभी

सम्मोहन घर का

रहा देखता मैं निरीह

सुग्गा पिंजर का

हुआ अचंभित फूल देखकर

टूट गया वह धागा

जिसमें हार पिरोया।

किसके-किसके नाम

दीप लहरों पर भेजूँ

टूटे-बिखरे शीशे

कितने चित्र सहेजूँ

जिसने चंदा बनने का

एहसास कराया

बादल बनकर वही भिगोया।

 

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