Hindi Poem of Dhananjay singh “Aatm nirvasan”,”आत्म-निर्वासन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आत्म-निर्वासन

 Aatm nirvasan

कहाँ से कहाँ तक चलकर

कहीं भी न पहुँचने का नाम

मेरे लिए यात्रा है

और जैसे

नींद में चलते रहने का नाम जीवन ।

रास्ते की भीड़

जुलूस और उत्सव की चहल-पहल

पिता के रौब से सहमे

बच्चे की तरह

मुझे डिस्टर्ब नहीं करते

बस-ट्रेन

स्कूल-दफ़्तर और घर से जुडी

कुछ छोटी पद-यात्राओं का

एक बहुत बड़ा नाम है ‘दिन’ ।

तुम्हारी याद भी

सो जाती है थक कर

चेतना के द्वार पर पहुँच कर

दस्तक देने से पहले ही ।

सुबह-शाम

दूध माँगने और

हाज़िरी लेने वाली बच्ची

बड़ी हो कर

कुछ कवियों-पत्रकारों और

आलोचकों में बदल गई है ।

पुस्तकों-पत्रिकाओं के ढेर से निकल कर

‘गुमशुदा की तलाश’ के विज्ञापन में

सबसे पहले छपा नाम मेरा है मेरा ……. ।

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