Hindi Poem of Dinesh Singh “Chide ki vyatha”,”चिड़े की व्यथा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चिड़े की व्यथा

 Chide ki vyatha

नये समय की चिड़िया चहकी

बहकी हवा

बजे मीठे स्वर

सारंगी के तारों जैसी

काँप रही

जज़्बातों की लर

छुप-छुपकर मिलती रहती है

अपने दूजे ख़सम यार से

बचे समय में मुझसे मिलती

गलबाहें दे बड़े प्यार से

उससे लेती छाँह देह की

मुझसे लेती

ढाई आखर

जाने कितने तहखानों में

थोड़ा-थोड़ा मन रखती है

थोड़ा-सा मन साथ में लिए

डाल-डाल के फल चखती है

उड़-उड़कर तोला करती है

एक भाव में

पानी-पाथर

पूर्ण समर्पण के चिंतन में

थोडा स्वत्व बचा लेती है

बदहज़मी वाली बातें भी

पूरी तरह पचा लेती है

हँस-हँस खूब निभा लेती है

चूमाचाटी

खूनाखच्चर

 

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