Hindi Poem of Purnima Verman “Avara din“ , “आवारा दिन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आवारा दिन
Avara din

दिन कितने आवारा थे
गली गली और
बस्ती बस्ती
अपने मन
इकतारा थे
माटी की
खुशबू में पलते
एक खुशी से
हर दुख छलते
बाड़ी, चौक, गली अमराई
हर पत्थर गुरुद्वारा थे
हम सूरज
भिनसारा थे
किसने बड़े
ख़्वाब देखे थे
किसने ताज
महल रेखे थे
माँ की गोद, पिता का साया
घर घाटी चौबारा थे
हम घर का
उजियारा थे

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