Hindi Poem of Purnima Verman “Koyaliya boli“ , “कोयलिया बोली” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कोयलिया बोली
Koyaliya boli

शहर की हवाओं में
कैसी आवाज़ें हैं

लगता है
गाँवों में कोयलिया बोली

नीलापन हँसता है
तारों में

फँसता है
गगन की घटाओं में

कैसी रचनाएँ हैं
लगता है

धरती पर फगुनाई होली
सड़कों पर नीम झरी

मौसम की
उड़ी परी

धरती के आँचल में
हरियल मनुहारें हैं

लगता है
यादों ने कोई गाँठ खोली

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