Hindi Poem of Purnima Verman “Ram Bharose“ , “रामभरोसे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रामभरोसे
Ram Bharose

अमन चैन के भरम पल रहे –
रामभरोसे!

कैसे-कैसे शहर जल रहे –
राम भरोसे!

जैसा चाहा बोया-काटा
दुनिया को मर्ज़ी से बाँटा

उसकी थाली अपना काँटा
इसको डाँटा उसको चाँटा

रामनाम की ओढ़ चदरिया
कैसे आदमज़ात छल रहे-

राम भरोसे!
दया धर्म नीलाम हो रहे

नफ़रत के ऐलान बो रहे
आँसू-आँसू गाल रो रहे

बारूदों के ढेर ढो रहे
जप कर माला विश्वशांति की

फिर भी जग के काम चल रहे-
राम भरोसे!

भाड़ में जाए रोटी दाना
अपनी डफली अपना गाना

लाख मुखौटा चढे भीड़ में
चेहरा लेकिन है पहचाना

जानबूझ कर क्यों प्रपंच में
प्रजातंत्र के हाथ जल रहे-

राम भरोसे!

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